The 5-Second Trick For Fear Aur Dar Ko Kaise Jeetein – Tantrik Upay & Divya Sadhana
अपने डर पर एक अच्छी किताब पढ़ने से आपको इससे छुटकारा पाने में मदद मिल सकती है। जिंदगी में जिस विषय को लेकर आप परेशान है या जो चीज आपको सबसे ज्यादा प्रभावित कर रही है,उसके बारे में मोटिवेशनल किताबें पढ़ना काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। इसलिए पहले डर को जानें और इसे पहचान कर इसके बारे में अच्छी किताबें तलाशें और उन्हें पढ़ें।
ये सभी डर अगर बचपन में समझाए न जाएं, तो वही वयस्क होने पर भी पीछा करते हैं।
किताबें, कहानियां, कविताओं के काफी करीब है, या तो बोलती नहीं है और जब बोलती है तो चुप नहीं होती। लिखना शौक है और पेशा भी।
आप मष्तिष्क के लिए कुछ अच्छे योगासन चुनिए, और रोज सुबह शांत जगह पर जाकर करना शुरू कीजिये.
अपने डर को एक नाम दें। कभी-कभी डर को तुरंत और स्पष्ट रूप से पहचाना जा सकता है, लेकिन कभी-कभी अपने मन के अंदर चल रही चिंता की भावना को नाम देना हमारे लिए कहीं ज्यादा मुश्किल हो जाता है। अपने डर को पूरा सामने आने दें और इसे एक नाम दें। हो सकता है कि आप किसी ठोस चीज़ (बिल्ली से भय की तरह) या किसी स्थिति (जैसे कक्षा के सामने बुलाए जाने) से डरते हों।
यहां एक बात समझने लायक है कि डर का वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है मगर खतरा, खतरे का होना वास्तविक है। उदाहरण के लिए यदि आप जंगल में फस जाते हैं वहां जंगली जानवर आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं यह बिल्कुल सत्य है लेकिन किसी जानवर ने अभी तक आपको नुकसान नहीं पहुंचाया यह भी सच्च हैं इसलिए अपने डर और खतरे में फर्क करना जरूर सीखें
हमें ऐसा लगता है की जैसे हम कुछ कर ही नहीं पायेंगे और हमें ऐसी स्थिति से बचने के लिए भाग लेना चाहिए.
अपने एक फ्रेंड से उसके डॉग को रोककर या पकड़े रहने का कहें, उस दौरान तब तक उसे टच करें या सहलाएँ, जब तक कि आपका डर खत्म न हो जाए।
❓ क्या हर डर को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है?
मौत एक ऐसी सच्चाई है जिससे कोई नहीं बच पाया. ऐसा तो होगा नहीं की कई लोग तो इससे बच गए, पर आप नहीं बच पाएंगे? फिर किस बात की घबराहट भाई?
तो अपने दिल से किसी भी प्रकार के डर को भगाने के लिए खुद को मजबूत बनाना होगा.
जैसे हाथ पैंर कांपने लगना, सांस website भारी हो जाना, दिल की धड़कन तेज हो जाना और कभी कभी चक्कर आ जाना. इन शारीरिक लक्षणों के साथ साथ हमारी मानसिक हालत भी कमजोर हो जाती है.
इस हालत में, मैं एकदम कोने में जाकर बैठ गई और मैंने कुछ देर तक ध्यान किया। उन चंद मिनटों के गहरे मौन के बाद मानो कि कोई जादू ही हो गया हो। मैं अंदर से एकदम शांत हो गई और मुझे एक नया आत्मविश्वास मिल गया।
सामाजिक प्रभाव सामाजिक प्रभाव – परिचय